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पटना लिटरेरी फेस्टिवल

पटना लिटरेरी फेस्टिवल की स्थापना कुछ साल पहले ही हुई थी, लेकिन बहुत अल्प समय में इसने देश के साहित्यिक मंडली में अपनी एक अलग जगह बनाई है।

 

खुर्शीद अहमद और फैजान अहमद जैसे कुछ साहित्य प्रेमियों ने प्रसिद्ध सर्जन डॉक्टर एए हई के नेतृत्व में इस साहित्यिक निकाय का गठन किया।

 

डॉक्टर हई न केवल एक प्रसिद्ध सर्जन हैं, बल्कि कला को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से साहित्य और कविता के प्रति गहरी समझ और प्रेम भी रखते हैं।

 

बिहार और विशेष रूप से पटना की सांस्कृतिक और साहित्यिक परंपरा और विरासत को पुनर्जीवित कर उसे और समृद्ध करना पीएलएफ का मुख्य उद्देश्य है।

 

पटना को कभी अजीमाबाद भी कहा जाता था और यह साहित्यिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु था। इसी अजीमाबाद ने लगातार पांच रातों तक मुशायरा हुआ था जो एक रिकॉर्ड है।

 

बिहार ने कई प्रसिद्ध हिंदी और उर्दू कवियों को देश को दिया है। इनमें शाद अजीमाबादी, रामधारी सिंह दिनकर, जमील मजहरी, गोपाल सिंह नेपाली, कलीम आजिज़ और सत्य नारायण जैसे राष्ट्रीय स्तर के नाम शामिल हैं।

 

पटना लिटरेरी फेस्टिवल साहित्यिक कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित कर रहा है। लॉकडाउन अवधि के दौरान भी पटना लिटरेरी फेस्टिवल द्वारा कला और साहित्य पर विभिन्न ऑनलाइन कार्यक्रम भी आयोजित करता रहा है।

 

पटना लिटरेरी फेस्टिवल के तहत, रूबरू के नाम से एक इंटरैक्टिव सत्र को आयोजित करता है, जहां एक या दो कवि अपनी कविताओं का पाठ करते हैं और वे एक मॉडरेटर द्वारा संवाद भी करते हैं।

 

मनोज मुंतशिर, ए एम तुराज़, आलोक श्रीवास्तव, शबीना अदीब, अज़्म शाकरी और सपना मूलचंदानी आदि जैसे प्रसिद्ध कवियों को शामिल करते हुए अब तक छह रूबरू कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं और इस इंटरैक्टिव सत्रों को लोगों द्वारा पसंद किया गया और सराहा गया है।

 

आज यहां मंच पर उर्दू के दो शायर अज़्म शाकरी और सपना मूलचंदानी मौजूद हैं और मशहूर टीवी एंकर नगमा सहर उनसे बात करेंगी।

 

पटना लिटरेरी फेस्टिवल के सदस्य:

 

1. डॉ एए हई, अध्यक्ष
2. फरहत हसन, उपाध्यक्ष
3. फैजान अहमद, आयोजन समिति के अध्यक्ष
4. खुर्शीद अहमद संस्थापक और सचिव
5. फहीम अहमद
6. एजाज हुसैन
7. राकेश रंजन
8. बीके चौधरी
9. शिवजी चतुर्वेदी
10. फरहा खान
11. चंद्रकांता खान